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Wednesday, December 8, 2010

1
वे घृणा करते है हमसे
हमारे कालेपन से
हँसते है ,वयगं य करते है हम पर
हमारे अनगढपन पर कसते है फिबतया
मजाक उडाते है, हमारी भाषा का
हमारे चाल-चलन रीित-िरवाज
कुछ भी पसंद नहीं उनहे
पसंद नहीं है, हमारा पहनावा-ओढावा
जगं ली ,असभय ,िपछडा कह
िहकारत से देखते है हमे
और अपने को सभय शेष समझ
नकारते है हमारी चीजो को
० किव तथा किवता का नाम िलिखए।
० किवता मे वे और हम िकनका पितिनिधतव करते है ?
० वे िकस पकार फिबतया कसते है ?
० वे िकसका मजाक उडाते है ?
० वे हमारी चीजो को कया कहकर नकारते है ?
2
वे नहीं चाहते , सीखना
हमारे बीच रहते , हमारी भाषा
चाहते है, उनकी भाषा , सीखे हम
और उनहीं की भाषा मे बात करे उनसे
० 'उनहे 'सहज गाह नहीं होता - िकनको ? कया ?
० " उनके घरो मे हमारा पवेश विजरत है " िकसका पवेश
विजरत है ?
० ' वे ' कया -कया नहीं चाहते है ?
० वे कया चाहते है ?

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